Manish Kumar Jain
ज्ञान प्राप्ति का अर्थ

गौतम बुद्ध आम लोगों का विवेक जगाने के लिए उनका निमंत्रण नि:संकोच स्वीकार कर लेते थे। एक बार एक किसान ने उन्हें अपने गांव आने का निमंत्रण दिया। बुद्ध ने हामी भर दी। वह ठीक समय किसान के गांव पहुंचे। वहां लोगों को मालूम था कि गौतम बुद्ध आने वाले हैं, इसलिए उन्होंने उनके प्रवचन का आयोजन कर रखा था। बुद्ध प्रवचन देने लगे, लेकिन तभी किसान का बैल बीमार हो गया। उसे बैल की सेवा में लगना पड़ा। वह उसके लिए जड़ी-बूटी की व्यवस्था करने लगा। साथ ही उसे बुद्ध के प्रवचन में न पहुंचने की चिंता भी थी।

उलझन के बावजूद वह अपने बैल की देखभाल में लगा रहा। इसका अच्छा असर हुआ और बैल के प्राण बच गए। बैल के इलाज के बाद वह प्रवचन सभा में पहुंचा। तब तक प्रवचन समाप्त हो चुका था। किसान को अंत में पहुंचता देख लोग बुद्ध से किसान की शिकायत करते हुए बोले, 'देखिए, यह कितना स्वार्थी है कि आपके प्रवचन का आयोजन कर स्वयं ही गायब रहा।' इस पर किसान ने हाथ जोड़ते हुए अपनी विपदा बुद्ध को कह सुनाई। सारी बात सुनने के बाद बुद्ध बोले, 'इसने प्रवचन सुनने की जगह अपने दायित्व को महत्व देकर यह सिद्ध कर दिया कि वह मेरे विचार के मूल तत्व को समझता है। यदि बैल मर जाता तो किसान का प्रवचन सुनना बेकार हो जाता। तब मेरे प्रवचन का भी कोई मूल्य नहीं रह जाता। ज्ञान प्राप्ति का अर्थ जीवन के दायित्वों से भागना नहीं है, बल्कि उसे ढंग से समझना और निभाना है। हर समय व्यक्ति को अपनी विवेक बुद्धि से ही कार्य करना चाहिए।' सभी लोग उनके प्रवचन का सही अर्थ समझ गए।

Nov 6, 2014 6:52 PM