Brajesh
Diary इस घुमक्कडी़ने दिल के डर को कम कर दिया है। इन अंजान सड़कों पर भटकना और सूरज के रक्तरंजित होने पर निढाल घर लौटना एक सुकून देता है कि मैं अब भी हूँ...ये होना ही हौसला है, यही हौसला ऊर्जा है...मैं कल फिर निकल पडूँगा किसी अंजान रास्ते पर अपने कलेजे के साथ। १३/०९/२०१४
14 Eyl 2014 05:50